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paris olympics: हरियाणा के यमन सहरावत का सेमीफाइनल में प्रवेश

हरियाणा के झज्जर जिले के छोटे से गांव बिरोहड़ से निकलकर अमन सहरावत ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से पूरे देश का ध्यान खींचा है। 21 वर्षीय इस रेसलर ने पेरिस ओलंपिक 2024 के सेमीफाइनल में जगह बनाकर इतिहास रच दिया है। अमन ने 57 किलोग्राम वर्ग में अल्बानिया के पहलवान को 12-0 से हराकर क्वार्टर फाइनल जीता और अब सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की की है।
 
paris olympics: हरियाणा के यमन सहरावत का सेमीफाइनल में प्रवेश

अमन सहरावत : हरियाणा के झज्जर जिले के छोटे से गांव बिरोहड़ से निकलकर अमन सहरावत ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से पूरे देश का ध्यान खींचा है। 21 वर्षीय इस रेसलर ने पेरिस ओलंपिक 2024 के सेमीफाइनल में जगह बनाकर इतिहास रच दिया है। अमन ने 57 किलोग्राम वर्ग में अल्बानिया के पहलवान को 12-0 से हराकर क्वार्टर फाइनल जीता और अब सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की की है।

अमन का सफर 

अमन सहरावत का सफर कभी आसान नहीं रहा। 2013 में उन्होंने अपनी मां को हार्ट अटैक के चलते खो दिया, और 2014 में पिता का भी देहांत हो गया। बावजूद इसके, अमन ने हिम्मत नहीं हारी और अपने ताऊ सुधीर, चाचा और दादा की देखरेख में अपने रेसलिंग करियर की शुरुआत की।

वर्ष        उपलब्धि

2018    चैंपियनशिप मनामा - स्वर्ण पदक
2019    खेलो इंडिया यूथ गेम्स - स्वर्ण पदक
2022    अंडर-17 फ्रीस्टाइल किर्गिस्तान - स्वर्ण पदक
2023    एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप - स्वर्ण पदक
2024    ओपन कुश्ती टूर्नामेंट - 57 किलोग्राम गोल्ड

छत्रसाल स्टेडियम में प्रशिक्षण

अमन ने मात्र आठ साल की उम्र में दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में प्रशिक्षण लेना शुरू किया। उनके कोच ललित ने अमन के खेल पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए उन्हें अपने पास के कमरे में रखा। उनके कमरे में ओलंपिक गोल्ड और अन्य प्रेरणादायक पोस्टर्स लगे हुए हैं, जो उन्हें लक्ष्य पर केंद्रित रखने में मदद करते हैं।

अमन का ओलंपिक सपना

अमन के परिवार ने उनके सभी मेडल्स को संजोकर रखा है। उनकी मौसी सुमन का कहना है कि अमन की मेहनत ने उसे इस मुकाम तक पहुँचाया है। अमन का सपना है कि वह ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर अपने माता-पिता को श्रद्धांजलि दे सके।

सेमीफाइनल की उम्मीदें

आज रात साढ़े 9 बजे अमन सहरावत का सेमीफाइनल मुकाबला होगा। पूरे देश की नजरें अब इस युवा पहलवान पर टिकी हैं। अमन के संघर्ष और समर्पण ने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया है, और अब पूरे देश को उनसे एक पदक की उम्मीद है।

अमन सहरावत ने न केवल अपने गाँव बिरोहड़ बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। उनकी कड़ी मेहनत और परिवार के समर्थन ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया है। पेरिस ओलंपिक में उनकी जीत की उम्मीद अब हर भारतीय के दिल में बसी है। हम सभी अमन के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह अपने सपनों को साकार कर सके।


 

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